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TCS ने अपने हालिया बयान में यह स्पष्ट किया है कि यह छंटनी 'परफॉर्मेंस बेस्ड' और 'रोल रिडंडेंसी' के आधार पर की गई है। लेकिन कंपनी के अंदरूनी सूत्रों और इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि इसका एक बड़ा कारण AI और automation का तेजी से बढ़ता दखल है। अब सवाल ये उठता है कि क्या यह केवल TCS तक सीमित रहेगा, या फिर आने वाले समय में पूरी IT इंडस्ट्री इसी दिशा में जाने वाली है?
TCS के CEO, राजेश गोपीनाथन, ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमारी प्राथमिकता हमेशा बिजनेस की निरंतरता और क्लाइंट डिलीवरी रही है। समय के साथ तकनीक बदल रही है, और हमें अपने कार्यबल को उसी के अनुसार ढालना होगा। AI और automation से productivity बढ़ेगी, लेकिन इसके लिए हमें अपने स्किल सेट में भी बदलाव लाना होगा।" उनका ये बयान साफ संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में परंपरागत जॉब प्रोफाइल्स की जगह अब टेक्नोलॉजी-ड्रिवन प्रोफाइल्स लेने वाली हैं।
TCS की इस छंटनी की शुरुआत जून 2025 में हुई थी जब कंपनी ने 200 से ज्यादा कर्मचारियों को अचानक notice थमाया। इनमें से अधिकतर लोग उन डिपार्टमेंट्स से थे जो लंबे समय से अपग्रेड नहीं हुए थे या जिनका काम automation द्वारा आसानी से किया जा सकता था। इसके बाद जुलाई में 600 और लोगों को निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई। इन फैसलों का असर सिर्फ ऑफिस तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी आलोचना होने लगी। LinkedIn, Reddit और X (पहले Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग अपने अनुभव साझा करने लगे।
भारत की IT इंडस्ट्री में यह पहली बार नहीं है जब ऐसे बड़े पैमाने पर layoffs हुए हों, लेकिन इस बार का परिदृश्य कुछ अलग है। पहले जहां layoffs किसी आर्थिक मंदी या प्रोजेक्ट क्लोजर की वजह से होते थे, अब AI और automation इसे लगातार प्रभावित कर रहे हैं। TCS जैसे दिग्गज की यह पहल इस बात का संकेत है कि अब कंपनियां “less human, more machine” की दिशा में सोच रही हैं।
AI tools जैसे कि ChatGPT, Google Gemini, GitHub Copilot, और Google का VEO 3 अब केवल supportive टेक्नोलॉजी नहीं रहे, बल्कि ये धीरे-धीरे core production और service डिलिवरी में human को replace कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई ऐसे repetitive tasks जो पहले सैकड़ों लोग मिलकर करते थे, अब कुछ ही advanced AI systems के जरिए पूरे किए जा सकते हैं — वह भी ज्यादा accuracy और कम समय में।
TCS द्वारा निकाले गए कई कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि performance metrics को इतने कठोर तरीके से लागू किया जाएगा। कुछ लोग तो 8-10 साल से कंपनी में कार्यरत थे, लेकिन उन्हें भी अचानक से job loss का सामना करना पड़ा। यह दर्शाता है कि loyalty और seniority अब नौकरी बचाने का आधार नहीं रह गई है — कम से कम IT इंडस्ट्री में नहीं।
अब सवाल ये उठता है कि इसका असर नए graduates और fresher इंजीनियरों पर क्या होगा? कंपनियां अब ऐसे कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रही हैं जो पहले से AI, machine learning, data science या cloud computing में दक्ष हैं। इसलिए सिर्फ degree या coding knowledge से अब काम नहीं चलेगा। Industry ready होने के लिए जरूरी होगा कि छात्र अपने स्किल्स को advance tech के साथ upgrade करें।
इस बदलाव का एक बड़ा असर उन विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग कॉलेजों पर भी पड़ेगा जो outdated syllabus पढ़ाते हैं। उन्हें अब अपने पाठ्यक्रम में fundamental coding के साथ-साथ AI tools, ethical hacking, cyber security और robotics जैसे subjects को शामिल करना पड़ेगा। नहीं तो उनका curriculum, market की जरूरतों से कट जाएगा और छात्र सिर्फ degrees लेकर बेरोजगारी का सामना करते रहेंगे।
TCS ने इस कदम को ‘Transformation Strategy’ का नाम दिया है। इसके तहत कंपनी 2025 के अंत तक अपने workforce को 30% तक digitally skilled बनाना चाहती है। इसका मतलब है कि जो लोग खुद को digital transformation के अनुकूल नहीं बना पाएंगे, वे धीरे-धीरे system से बाहर हो जाएंगे। TCS के HR डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “ये सिर्फ layoff नहीं है, ये एक soft restructuring है। हम चाहते हैं कि लोग खुद को industry-ready बनाएं, नहीं तो market उन्हें बाहर कर देगा।”
यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले 2–3 वर्षों में IT सेक्टर में traditional jobs तेजी से घटेंगी और नए प्रकार की jobs सामने आएंगी — जैसे कि AI auditor, prompt engineer, AI ethics analyst और robotics process developer। इसलिए जो युवा इस सेक्टर में आना चाहते हैं उन्हें अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी।
सरकार की भूमिका भी अब अहम हो जाती है। IT मिनिस्ट्री को चाहिए कि वह skilling initiatives को सिर्फ coding तक सीमित न रखे, बल्कि emerging technologies को लेकर pan-India level पर short-term और affordable certifications शुरू करे। इससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी अवसर मिलेगा।
TCS layoffs केवल एक corporate decision नहीं है — यह पूरे सिस्टम के बदलने का संकेत है। इससे यह भी सीख मिलती है कि केवल एक नौकरी या एक language पर निर्भर रहना अब खतरनाक हो सकता है। Multi-skill और multi-domain knowledge ही भविष्य की नई currency होगी।
जो लोग यह सोचते हैं कि ये trend रुक जाएगा, उन्हें शायद पुनर्विचार करना चाहिए। McKinsey की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक दुनिया की 30% नौकरियाँ automation से प्रभावित होंगी। भारत में यह आंकड़ा और भी तेज़ी से बदल सकता है क्योंकि यहाँ IT industry cost-saving के लिए हमेशा automation-first approach अपनाती रही है।
अंततः, यह दौर बदलाव का है। और जैसा कि Charles Darwin ने कहा था, "It is not the strongest species that survives, but the one most responsive to change." TCS layoffs हमें यही सिखाते हैं कि समय के साथ चलना ही सफलता की कुंजी है — और अगर हम ऐसा नहीं करते, तो तकनीक हमें पीछे छोड़ देगी।
FAQs
Q1. TCS की छंटनी से फ्रेशर्स को क्या सीखना चाहिए?
A1. फ्रेशर्स को अब सिर्फ coding या degree पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि AI, Machine Learning और Digital Tools में expertise हासिल करनी चाहिए।
Q2. क्या सरकार इस तरह के layoffs को रोकने के लिए कोई कदम उठा रही है?
A2. फिलहाल सरकार ने डिजिटल स्किलिंग पर ज़ोर देना शुरू किया है लेकिन अभी तक ऐसे layoffs को रेगुलेट करने के लिए कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं किया गया है।
Q3. TCS की तरह क्या अन्य IT कंपनियाँ भी इस रास्ते पर चलेंगी?
A3. हां, Infosys, Wipro और Tech Mahindra जैसी कंपनियाँ भी digital transformation और automation की दिशा में बढ़ रही हैं, जिससे भविष्य में ऐसी छंटनियाँ बढ़ सकती हैं।
